ग़ज़ल 4 : जब किसी और के करीब हो जाओगे तुम
जब किसी और के करीब हो जाओगे तुम
हमारी खुशियों के रकीब हो जाओगे तुम
सवरने लगोगे किसी और के ही प्रेम से
देखने में कितने अजीब हो जाओगे तुम
हमारा बना बनाया नसीब बिगाड़ कर
दूसरे का खुश नसीब हो जाओगे तुम
हम रखेंगे ज़िंदा तुमको जहन में जाना
चाहे उसके जहनसीब हो जाओगे तुम
याद करोगे तुम पल पल साथ हमारा
हमारे बगैर बेतरतीब हो जाओगे तुम
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हमारी खुशियों के रकीब हो जाओगे तुम
सवरने लगोगे किसी और के ही प्रेम से
देखने में कितने अजीब हो जाओगे तुम
हमारा बना बनाया नसीब बिगाड़ कर
दूसरे का खुश नसीब हो जाओगे तुम
हम रखेंगे ज़िंदा तुमको जहन में जाना
चाहे उसके जहनसीब हो जाओगे तुम
याद करोगे तुम पल पल साथ हमारा
हमारे बगैर बेतरतीब हो जाओगे तुम
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