तसव्वुर
अब इन आंखों में हम क्यूँ न डूबे ऐ साकी,
हमने इन आंखों में महकती निशा देखी है।।
भले जाहिर न करे लफ्जों से वो बातें मन की,
हमने इनमें खुद के लिए एक कारवां देखी है ।।
उसे पता है कि मैं बस उसका ही हूँ फिर भी,
हमें खोने का डर उसमें, खा-म-खा देखी है।।
अदद बिंदी के सिवा कुछ और नहीं लगाती वो,
फिर भी उसमें हमने बङी खूबसूरत समां देखी है।।
जमाने भर की तारीफें भी कम हो उसके सजदे को पर,
हमने उसके अंदर सादगी बेइंतहा देखी है।।
ओर अब उसके सिवा देखे भी तो क्या देखें ऐ 'दीप'
हमने उसमें अपनी दोनों जहां देखी है।।
#dying4her
©AK47
© AK47
हमने इन आंखों में महकती निशा देखी है।।
भले जाहिर न करे लफ्जों से वो बातें मन की,
हमने इनमें खुद के लिए एक कारवां देखी है ।।
उसे पता है कि मैं बस उसका ही हूँ फिर भी,
हमें खोने का डर उसमें, खा-म-खा देखी है।।
अदद बिंदी के सिवा कुछ और नहीं लगाती वो,
फिर भी उसमें हमने बङी खूबसूरत समां देखी है।।
जमाने भर की तारीफें भी कम हो उसके सजदे को पर,
हमने उसके अंदर सादगी बेइंतहा देखी है।।
ओर अब उसके सिवा देखे भी तो क्या देखें ऐ 'दीप'
हमने उसमें अपनी दोनों जहां देखी है।।
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