...

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जो है,सो है
कल दस्तक दे रहा है,आज कों जाने की अनुमति चाहिए
कल से आज,आज से कल क्या करने वाले,आप दिकाहिए
पल पल का पन्ना पलट रहा,और नए पाठ मिलरहे राहो में
तरस रहे नैना जो बरसों से,उन्हे पकड़ लेना आप बाहों में

सक्षम है,सुरक्षित भी,पर लोगो को मन के प्रति आस नहीं
बातों से ही डर जाते है,हार गए कुछ रखा नहीं प्रयास नहीं
कदम कदम पर डर है,गिरने,गिराने की लगी लंबी कतार है
पैसा है तो पूछे चार,हो चुका,चल रहा,दुनिया का अवतार है

समय के तीनकाटों का मोल नहीं,विश्व आज भी लड़ रहा है
कोई,कैसे सोच? गिर रहा है,कोइं,ऐसे और,सोच,बड़ रहा है
अगर आंखे नींद मांग रही हो,उन्हे मंज़िल की राह दिखा दो
में जाग कर भी,वो सपना देखना चाहता हूं,वो बात बता दो

में यही हूं,जैसा भी हूं,पर नकली शीशे का बना तस्वीर नहीं
चार आलोचक,दो संकोचक बनावटी नहीं,जो है,वो है सही
कर रहा हूं,करता रहूंगा,जब तक हवाएं शरीर में आएगी
चुब्ती बात याद,हसी,आंसू? कौन,क्या कहता? बताएगी
ADITYA PANDEY©