गंतव्य
करूँ मैं उसका क्या
पाया मैंने जो अब तक
छिपने की भी बात नहीं
छिपना भी किसको आता है
चेहरा अंदर रहता है
धड़ बाहर दिखा जाता है |
संकल्प ले रहा...
पाया मैंने जो अब तक
छिपने की भी बात नहीं
छिपना भी किसको आता है
चेहरा अंदर रहता है
धड़ बाहर दिखा जाता है |
संकल्प ले रहा...