सर्द की वो “ मुलाकात-ए-इश्क़ ”
दिल के इस तेखानें मे एक तस्वीर कैद कर के बैठा हूँ,
इन आँखों से उसकी हर छोटी हरक़त पे पेहरा जमाए बैठा हूँ |
एक अंजान सी शख़्स थी वो,
नाजाने क्या बात थी उसमे |
पेहली नजर मे कायल कर दे जो,
कुछ तो खास था उसमे ||
सर्द की उस साम जब उन्हें पेहली दफ़ा देखा था,
बस गुम गए उनके खयालों में वो कुछ अजीब सा ही नशा था ||
हर नशा भी फीका पड़ गया था,
उसकी उन नशीली काजल लगी आँखों के सामने |
सर्द की वो साम भी सरमा गई थी,
उसकी उन गहरी काली आँखों के सामने ||
आँखों से...
इन आँखों से उसकी हर छोटी हरक़त पे पेहरा जमाए बैठा हूँ |
एक अंजान सी शख़्स थी वो,
नाजाने क्या बात थी उसमे |
पेहली नजर मे कायल कर दे जो,
कुछ तो खास था उसमे ||
सर्द की उस साम जब उन्हें पेहली दफ़ा देखा था,
बस गुम गए उनके खयालों में वो कुछ अजीब सा ही नशा था ||
हर नशा भी फीका पड़ गया था,
उसकी उन नशीली काजल लगी आँखों के सामने |
सर्द की वो साम भी सरमा गई थी,
उसकी उन गहरी काली आँखों के सामने ||
आँखों से...