...

12 views

सर्द की वो “ मुलाकात-ए-इश्क़ ”
दिल के इस तेखानें मे एक तस्वीर कैद कर के बैठा हूँ,
इन आँखों से उसकी हर छोटी हरक़त पे पेहरा जमाए बैठा हूँ |

एक अंजान सी शख़्स थी वो,
नाजाने क्या बात थी उसमे |
पेहली नजर मे कायल कर दे जो,
कुछ तो खास था उसमे ||

सर्द की उस साम जब उन्हें पेहली दफ़ा देखा था,
बस गुम गए उनके खयालों में वो कुछ अजीब सा ही नशा था ||

हर नशा भी फीका पड़ गया था,
उसकी उन नशीली काजल लगी आँखों के सामने |
सर्द की वो साम भी सरमा गई थी,
उसकी उन गहरी काली आँखों के सामने ||

आँखों से नीचे जो उतरे उनकी होठों से हमारा सामना हुआ,
कई कोशीशें की खुद को संभलने की बड़ी ही मुश्किल से खुद को बचाया था |

ना कोई बनावट की लाली थी उस चेहर मे,
ना ही उनमे कोई शृंगार का वेष था |
सादगी भरे उस चेहरे मे बस एक चमक थी,
जो उसकी मासूमियत बयां कर रहा था ||

होठों से खुद को बचते बचाते हमारी नजर उनकी जुल्फ़ों पर पड़ी,
सोचा जुल्फ़ों के सहारे खुद को संभाले...
पर होठों की उस शाज़िश मे जुल्फों ने भी उनका ही साथ निभाया था |

होठों पर उनकी जब जुल्फ़े बिखर गयी,
खुबसुरती उनकी आसमान ही छु उठी थी |
उसपे उनकी वो मासूम मुस्कुराहट,
दिल पे हमारे घर कर गई थी ||

बस एक सोच, एक खयाल मे हमने उन्हें आँखों से दिल मे उतारा है,
काश उनसे फिर मुलाक़ात हो इन आँखों मे बस यही एक ख़्वाब है |

© Harshhh