आवाज़
जब जब जुर्म हुआ
कोई आवाज़ सुनने नहीं आया
इंसाफ की बात की
तो साथ खड़े होने कोई नहीं आया ।।
और जब खाक हुई
तो रास्तों में कैंडल मार्च निकल आया ।
जब आवाज़ उठाने और हत्यार से प्रहार करने
जब मै तैयार हुई
तब तुम में हिम्मत आई
सड़े आम हमारा तमाशा बनना
कोई मज़ाक नहीं है।।
यह तो सदियों से होता आ रहा
तब भी ख़ामोश
अब भी ख़ामोश ही रह गए।
हवस है तुम...
कोई आवाज़ सुनने नहीं आया
इंसाफ की बात की
तो साथ खड़े होने कोई नहीं आया ।।
और जब खाक हुई
तो रास्तों में कैंडल मार्च निकल आया ।
जब आवाज़ उठाने और हत्यार से प्रहार करने
जब मै तैयार हुई
तब तुम में हिम्मत आई
सड़े आम हमारा तमाशा बनना
कोई मज़ाक नहीं है।।
यह तो सदियों से होता आ रहा
तब भी ख़ामोश
अब भी ख़ामोश ही रह गए।
हवस है तुम...