...

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ग़ज़ल

2122-2122-2122-212

हो न जाऊँ मैं कहीं बर्बाद यारो क्या करूँ
उसको रखना है मुझे आबाद यारो क्या करुँ

वो तो कहता है हूँ मैं आज़ाद यारो क्या करूँ
अस्ल में है वो मेरा सैयाद यारो क्या करूँ

वो तभी हद से ज़ियादा ख़ुश हुआ है दोस्तो
जब कभी रहता हूँ मैं...