...

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दर्द

मैं जोर से हंस रहा था,
लेकिन दिल की आंसुओं का सहन नहीं कर पा रहा था,
मुस्कराहट तो धीरे-धीरे आ गई,
लेकिन अंदर ही अंदर के दर्द को चुपाए जा रहा था।

आँखों की नमी को नजर ना आने देता,
चिंता, हकलाहट, गुस्सा छोड़ दिया था,
पर एक निगाह से देखो, दिल सरहदे पार,
रोने को दिल बहुत तड़प रहा था।


© Deba Rath