क्या बजाएं संख जब सेना सि खंडी
फिक्स हैं सब बड़े जिनके हांथ हैं ।
मिक्स हैं जो खड़े मेरे साथ हैं ।।
क्या बजाएं संख जब सेना सिखंडी ।
कौन लेगा धान जब सड़ती हो मंडी ।।
चलो अपने काम पर जो कर रहे थे ।
कादरों में जोश किसका भर रहे थे ।।
जिन्हें खुद का विलय होना भाव्य है।
उन्हें आश्रय की प्रशंसा काव्य है।।
जब बनाए कारवां हो स्याल का ।
युद्ध छोड़ो ध्यान लाओ ढाल का ।।
खुद बचो क्योंकि तुम्ही अब लक्ष्य हो ।
भुखमरी में भुखमरों के भक्ष्य हो ।।
@सुजान तिवारी"समर्थ"
© Sujan Tiwari Samarth
मिक्स हैं जो खड़े मेरे साथ हैं ।।
क्या बजाएं संख जब सेना सिखंडी ।
कौन लेगा धान जब सड़ती हो मंडी ।।
चलो अपने काम पर जो कर रहे थे ।
कादरों में जोश किसका भर रहे थे ।।
जिन्हें खुद का विलय होना भाव्य है।
उन्हें आश्रय की प्रशंसा काव्य है।।
जब बनाए कारवां हो स्याल का ।
युद्ध छोड़ो ध्यान लाओ ढाल का ।।
खुद बचो क्योंकि तुम्ही अब लक्ष्य हो ।
भुखमरी में भुखमरों के भक्ष्य हो ।।
@सुजान तिवारी"समर्थ"
© Sujan Tiwari Samarth