...

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नन्ही लेखिका
एक छोटी सी बच्ची, सपने थे अनेक,
व्यवहार था थोड़ा बुरा, पर इरादे थे नेक।

सब ने समझा उसे आम,
ना करने देती आराम, ना ही करती कोई काम।

लेकिन कई प्रश्न बन गए थे उसकी नींद के चोर,
सब ने उसे दी भविष्य की सलाह, पर ध्यान था उसका कही‌ और।

बनना था उसे एक कवियित्री या एक लेखिका,
जो लिख सके बहुत सारें कविताएं, कहानियां और नाटिका ।

उसकी कहानियों के पात्र कभी बनते थे सैनिक, कभी नौकर और कभी एक राजकुमारी,
उन कहानियों को करना था उसे सच्च, पर कर ना सकी बैचारी।

कुछ लोगों को लगा उसका सपना सिर्फ़ एक मज़ाक,
लगा की ये सपना भी बदल जाएगा जैसे कोई पोशाक।

पर इस बार ठान ली, की करना है वही काम,
दिन - रात वह लिखती रही, बिना करें आराम।

एक अध्यापिका ने उसकी कविताओं को पढ़ा,
देखा उसके कामों को जैसे मिट्टी में सोने सा जड़ा, एक कड़ा।

पसंद आया उन्हें जो उसने था लिखा,
उस दिन वह लड़की ने असली खुशी के बारे में सिखा।




© Fifa 🦋