...

2 views

अकेलापन
एक दिन मैं जब अकेला था, वो आई मेरे पास में
शर्मा रही थी, कुछ दे गई मेरे हाथ में
वो कह रही थी " मैं भी अकेली हूं, क्या चलोगे मेरे साथ में "
लोगों का डर था, न रख पाता उसे राज़ मैं
लोग कल की गलतियां देखते है, अच्छाइयां नहीं देख पाते आज में
मैं कुछ कह नही पाया, फस गया दुनिया की गांठ में
फिर अकेला हो गया, ढूंढता फिरता था साथ मैं

फिर एक दिन वो मिली और बोली, " क्या चलोगे मेरे साथ में "
इस बार मन का कहना कुछ और था
" जिंदगी नही है तुम्हारी दुनिया वालो के हाथ मे
दो कदम ही चल दो न, वरना भटक जाओगे रात में "

साथ चल रहे थे दोनो, कुछ और भी आए साथ में
हम उन्हे समझ नही पाते थे, वो मुस्कुराते थे हर बात में
उनकी दिखावट को समझ नही पाए, हमे जुदा कर गए बाद में
वो भी चले गए, " तुम भी चली गई "
बस अकेलापन रह गया है साथ मे !

© All Rights Reserved