Do i have a right to say...
पक्षी बनकर चहकना है
उन्मुक्त गगन में,
मगर किसी पिंजरे में कैद ना होने पाऊं
सागर की लहरों से टकराना
है मुझको
मगर दो कश्ती में सवार ना होने पाऊं
इस जमाने की सोच में अगर परिवर्तन ना ला सकी मैं
तो ठुकराती हूं ऐसे सीमित अधिकार
मिन्नत करती हूं खुदा से यही
बस
अगले जन्म में बिटिया बनकर,
ना मैं आने पाऊं।।
उन्मुक्त गगन में,
मगर किसी पिंजरे में कैद ना होने पाऊं
सागर की लहरों से टकराना
है मुझको
मगर दो कश्ती में सवार ना होने पाऊं
इस जमाने की सोच में अगर परिवर्तन ना ला सकी मैं
तो ठुकराती हूं ऐसे सीमित अधिकार
मिन्नत करती हूं खुदा से यही
बस
अगले जन्म में बिटिया बनकर,
ना मैं आने पाऊं।।