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ईश्क़ एक तवील इंतज़ार
#इंतज़ार

ईश्क़ जिंदगी भर का एक तवील इंतज़ार है
जिसे करने पर होता अफ़सोस बेशुमार है
लगी रहती है राह-ए-महबूब पर नजरें
वो नही आयेगा ये सोच कर ही बिखर जाते सारे अहसासात है।

ईश्क़ वो खुमार है
जिससे हर आशिक़ बीमार है
राते बदलती है बिस्तर बदल जाते है
होती नही थोड़ी सी बात की इतने में शख़्श बदल जाते है।

ईश्क़ वफ़ा का ही तो दूसरा नाम है
इसमे सब के अपने अलग-अलग मयार है
जो निकल गया मतलब एक बार तो फिर
किसे तुम्हारा नाम याद है?

ईश्क़ के नाम पर सिर्फ बेहयाई आजकल नमूदार है
होते है ज़लील जो रहते इस खेल में वफ़ादार है
बस होता हवस मिटाने को इस्तमाल ईश्क़ का नाम है
असली मतलब तो ईश्क़ का आज कहीं गुमनाम है।


© Moyal

@ @Writco