मेरे मौन की आवाज हो तुम .....
हाँ ... प्रिये ,
आज वो अनकहा तुम्हें कुछ कहना चाहती हूँ , बताना चाहती हूँ मैं वो तुम्हें .... क्या हो तुम मेरे लिए , तुम बिन कितनी अधुरी हूँ मैं .... इस अधुरे पन में भी कितनी पूर्ण हूँ मैं ....
हर पहर किस तरह तुम्हारे आंचल से बंधी हूँ मैं ..... इन बहती हवाओं में पाती हूँ तुम्हें .... इन रात की रागिनी में गुनगुनाती हूँ तुम्हें ... इन तारों की खामोशी में तुम्हारे शब्दों को जीती हूँ मैं ....
दिल कहता है ... हर जज्बात से इन कोरे पन्नों की किस्मत बदल दूँ .... रंग दूँ इन्हें तुम्हारे ही रंग से ... और लबों से इनको चुम लूँ ..... बिखेर दूँ अक्स तुम्हारा इन बहती हवाओं में .... और नशे में तुम्हारे छुम लूँ .... खनकती पायल को ... तुम्हारी ह्रदय की आहट पर थिरकना सीखा दूँ .... मेरी निगाहों को दुरियों मे भी तुम्हें देखना सीखा दूँ .....
मेरी सांसो की वो साज .... सरगम तुम्हारे प्रेम गीत के ... उन शब्दों की धुन पर हमारे सपनों का...
आज वो अनकहा तुम्हें कुछ कहना चाहती हूँ , बताना चाहती हूँ मैं वो तुम्हें .... क्या हो तुम मेरे लिए , तुम बिन कितनी अधुरी हूँ मैं .... इस अधुरे पन में भी कितनी पूर्ण हूँ मैं ....
हर पहर किस तरह तुम्हारे आंचल से बंधी हूँ मैं ..... इन बहती हवाओं में पाती हूँ तुम्हें .... इन रात की रागिनी में गुनगुनाती हूँ तुम्हें ... इन तारों की खामोशी में तुम्हारे शब्दों को जीती हूँ मैं ....
दिल कहता है ... हर जज्बात से इन कोरे पन्नों की किस्मत बदल दूँ .... रंग दूँ इन्हें तुम्हारे ही रंग से ... और लबों से इनको चुम लूँ ..... बिखेर दूँ अक्स तुम्हारा इन बहती हवाओं में .... और नशे में तुम्हारे छुम लूँ .... खनकती पायल को ... तुम्हारी ह्रदय की आहट पर थिरकना सीखा दूँ .... मेरी निगाहों को दुरियों मे भी तुम्हें देखना सीखा दूँ .....
मेरी सांसो की वो साज .... सरगम तुम्हारे प्रेम गीत के ... उन शब्दों की धुन पर हमारे सपनों का...