...

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क्या धरा और क्या मैं अब ये गगन देखूंँ
क्या धरा और क्या मैं अब ये गगन देखूंँ
धूप से उजले नाज़ुक फूल सा बदन देखूंँ

झूम लूंँ मैं तुझे भरकर इन बाहों में या
तेरे स्पर्श को...