किसान है तो हम हैं
बिना परों के गगन से ऊँची उड़ान है जो, किसान है वो
अँधेरी रातों के बाद सुन्दर विहान है जो, किसान है वो
वही जो सरसो के फूल में है वही जो सूरजमुखी के जैसा
कपास, गन्ना,मसूर, अरहर या धान है जो, किसान है वो
वही जो मिट्टी से प्यार करता वही जो दुनिया का पेट भरता
उदास खेतों को गुदगुदाता, महान है जो, किसान है वो
बिता रहा है किसी तरह से वो ज़िन्दगी को थपेड़े सहकर
बिना दिवारों के और छत का, मकान है जो, किसान है वो
कभी वो सूखे की मार सहता,कभी वो नदियों की धार सहता
चुका रहा है वो पीढ़ियों से, लगान है जो, किसान है वो
किसे दिखाए वो घाव अपने किसे वो अपनी व्यथा सुनाए
ज़बान होते हुए भी इक बेज़ुबान है जो, किसान है वो
उतरना उसको पड़ा सड़क पर तो इसका मतलब उसे है दिक्कत
बदलना होगा हे भूप तुमको, बयान है जो, किसान है वो
पता नहीं होगा तुमको शायद भुजाओं में उसके बल है कितना
बवंडरों में भी पर्वतों के समान है जो, किसान है वो
© Akash dey
अँधेरी रातों के बाद सुन्दर विहान है जो, किसान है वो
वही जो सरसो के फूल में है वही जो सूरजमुखी के जैसा
कपास, गन्ना,मसूर, अरहर या धान है जो, किसान है वो
वही जो मिट्टी से प्यार करता वही जो दुनिया का पेट भरता
उदास खेतों को गुदगुदाता, महान है जो, किसान है वो
बिता रहा है किसी तरह से वो ज़िन्दगी को थपेड़े सहकर
बिना दिवारों के और छत का, मकान है जो, किसान है वो
कभी वो सूखे की मार सहता,कभी वो नदियों की धार सहता
चुका रहा है वो पीढ़ियों से, लगान है जो, किसान है वो
किसे दिखाए वो घाव अपने किसे वो अपनी व्यथा सुनाए
ज़बान होते हुए भी इक बेज़ुबान है जो, किसान है वो
उतरना उसको पड़ा सड़क पर तो इसका मतलब उसे है दिक्कत
बदलना होगा हे भूप तुमको, बयान है जो, किसान है वो
पता नहीं होगा तुमको शायद भुजाओं में उसके बल है कितना
बवंडरों में भी पर्वतों के समान है जो, किसान है वो
© Akash dey