बेताब-ए-दिल
तेरी गली में चाँद छिपाया,
दरश को तेरे दौड़ा आया।
फिर चाँद मिला ना आई नज़र तू,
हाल पे मेरे मैं चिल्लाया ।।
तेरी गली में चाँद छिपाया,
दरश को तेरे दौड़ा आया।।१।।
रुख़्शत तुझसे साँस नही है,
दिल मेरा मेरे पास नही है।
जाने क्या अब मेरा होगा,
इस सोच ने मुझको...
दरश को तेरे दौड़ा आया।
फिर चाँद मिला ना आई नज़र तू,
हाल पे मेरे मैं चिल्लाया ।।
तेरी गली में चाँद छिपाया,
दरश को तेरे दौड़ा आया।।१।।
रुख़्शत तुझसे साँस नही है,
दिल मेरा मेरे पास नही है।
जाने क्या अब मेरा होगा,
इस सोच ने मुझको...