...

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खोए हुए हो हैं हम
जाने कहां से आई हवा है!
पा के तुझे हम खोए हुए हैं;
ना मंजिलें हैं ना रास्ते हैं,
जाने कहा ये खोए हुए हैं।
ढूंढे तुझे ये पागल निगाहें;
सपनों में जगे हैं,की खोए हुए हैं।
जाने कहां से आई हवाएं ;
खुद में खोए हैं चाहे हम तो..?
कुछ ना पाना है हमको।
बस तुझको ढूंढो ये निगाहें !
अपना सा है ; या है कोई सपना ।

@Shing Ankita

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