कान्हा भजन
ना मैं राधा बनना चाहूं ,ना मैं मीरां बनना चाहूं।
मैं दासी तेरे चरणों की, मैं तो घुंघरू बनना चाहूं।।
ना मैं रुकमणी बनना चाहूं, ना मैं गोपी बनना चाहूं।मैं दासी तेरी कान्हा , मैं तो मुरली बनना चाहूं।।
...
मैं दासी तेरे चरणों की, मैं तो घुंघरू बनना चाहूं।।
ना मैं रुकमणी बनना चाहूं, ना मैं गोपी बनना चाहूं।मैं दासी तेरी कान्हा , मैं तो मुरली बनना चाहूं।।
...