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प्रकृति का श्रृंगार, धरती का प्यार
🌲🌲
पेड़ों का साया, ज़मीं की खुशबू,
हवाओं में मीठी, सुबह की नमी,
ये प्रकृति का श्रृंगार है अपना,
इसे सहेजना हर किसी का धर्म है सनातन।
🌹🌹
नदियों का बहना, पहाड़ों की ऊँचाई,
पंछी गाते, मीठी सी सुनाई,
ये धरती का है प्राकृतिक सौंदर्य,
इसे बिगाड़े बिना, जीना सीखो प्यारे।
🌍🌍
धुआँ उगलती गाड़ियाँ, कटते पेड़ हरियाली,
प्लास्टिक का जाल बिछा है जहानी,
संभल लो इंसानों, ये तुम्हारी ही ज़मीं है,
इसका नाश मत करो, ये माँ के समान है।
🌈🌈
पौधे लगाओ, हवा को दो शुद्धता,
पानी को बचाओ, धरती को दो शुचिता,
प्रकृति से प्यार करो, वो करेगी तुम्हारी रक्षा,
ये पर्यावरण बचाने की है सच्ची भक्ति।
© nishitgangwar
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