मैं पूछ लू
मैं पूछ लू तुमसे कभी,
ठहर जाओ थोड़ा और यही...
जहाँ,
कुछ तेरे तो, कुछ मेरे खयाल होंगे,
कुछ जाने पहचानी हसरत
कुछ अनजाने सवाल होंगे,
कहीं सुनसान पड़े किसी शहर के
रोशन...
ठहर जाओ थोड़ा और यही...
जहाँ,
कुछ तेरे तो, कुछ मेरे खयाल होंगे,
कुछ जाने पहचानी हसरत
कुछ अनजाने सवाल होंगे,
कहीं सुनसान पड़े किसी शहर के
रोशन...