आदमी इन दिनों
आदमी इन दिनों है इक ऐसे चक्रव्यू मे यूँ घिरा ,
जहाँ भूख, बेरोजगारी, और सिर पर छत के बजाय कर्ज का है पर्बत बड़ा।
आदमी इन दिनों है अन्तरजाल से है कुछ ऐसे आहत,
घंटों भ्रमणध्वनी ईस्तेमाल करने की चाहत मे बन गया है मनोरुग्ण बड़ा।
आदमी इन दिनों है इंसानियत से काफी दूर,
चोरी, मक्कारी, धोखेबाजी ही जीने की हो गई है जैसे रीत।
आदमी इन दिनों है पहुँचा चाँद और मंगल...