तैयार हूं मैं
खुल के जीने के लिए तैयार हूं मैं
क्यों तेरी कीच कीच सुनने को तैयार हूं मैं
शांति नसीब हुई तुमसे दूर होने पर
फिर क्यों उसे खोने को तैयार हूं मैं
यादें तो आती है तेरे संग वाले लम्हों की
क्यों ना उसे भूलने को तैयार हूं मैं
सायद वो पल थे मेरे लिए अनमोल
तभी उसे जीने के लिए तैयार हूं मैं
© writes_rh
क्यों तेरी कीच कीच सुनने को तैयार हूं मैं
शांति नसीब हुई तुमसे दूर होने पर
फिर क्यों उसे खोने को तैयार हूं मैं
यादें तो आती है तेरे संग वाले लम्हों की
क्यों ना उसे भूलने को तैयार हूं मैं
सायद वो पल थे मेरे लिए अनमोल
तभी उसे जीने के लिए तैयार हूं मैं
© writes_rh