...

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" हुस्न ए आशिक़ी "
तेरी आँखों से छलकते जाम को देखकर
ऐसा लगा पी जाऊं मै ,

देखकर तेरी रेशमी जुल्फों को
ऐसा लगा इसमे ही सो जाऊं मै ।

तेरे थिरकते पावों को देखकर ,
ऐसा लगा साथ मे झूम जाऊं मै ।

देखकर तेरे हुस्न ए शबाब को ,
ऐसा लगा की इसमे ही लिपट जाऊं मै ।

' Shubham Rao Samrat '





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