...

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कर्म
RAAJ PREEET

बचपन जवानी या बुढापा भाई बहन माँ या पापा
कुछ न जायेगा साथ फिर जब कर्मो की सुनवाई होगी
हिसाब किताब होगा बराबर गवाहों की न गवाही होगी
क्या कमाया क्या गंवाया कितने थे रोये कितनों को हँसाया
PREEET खुदा ने है बस यह फरमाया
साथ चलेगी न कोई भी छाया पलट जायेगी इक दिन काया
झूठी उम्मीद झूठे रिश्ते झुठा धन झुठा चरित्र झूठी माया
अदालत लगेगी जब खुदा की न कोई लोग दिखलाई होगी
किसके हम है काम आये रिश्तो को तोडकर नाम बनाये
गरीब के पसीने से महल बन गया कीमत उसकी भी चुका न पाये
बददुआ का असर भी होगा , घमंड गुरूर सब ढल जायेगा
यही सत्य है यही जीवन है जरूर ऐसा कल आयेगा
PREEET आज हंसकर कोई बुलाता भी नही कल सब लाश के पीछे चलेंगे
पढकर मेरी बातें कोई तो मेरे आईने मे ढलेंगे
जलते है हमसे जो भी कहाँ मेरे साथ जलेंगे
दो गज कफ़न की उम्मीद है बाकी रूक जायेगी इक दिन सांसो की चाकी ...