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मैं हारा नही
मैं हारा नही बस
थोड़ा मायूस हुआ,
जीवन की कुछ
तकलीफों से जो घिर गया।
मैं गिरा नही बस
थोड़ा महसूस हुआ,
जीवन की कुछ
अड़चनों से जो भिड़ गया।
राहें बदली कितनी
पर जीवन है वही,
अभी समय शायद
मेरे अनुकूल नही।
मैं रोया नही बस
थोड़ा दुःख हुआ,
रुकावट की कुछ
दीवारों से जो लड़ गया।
मैं जाना नही बस
थोड़ा आभास हुआ,
अपनो के कुछ
उम्मीदों से जो भर गया।
मैं हारा नही बस
थोड़ा मायूस हुआ
#poetry
© ALOK Sharma...✍️
थोड़ा मायूस हुआ,
जीवन की कुछ
तकलीफों से जो घिर गया।
मैं गिरा नही बस
थोड़ा महसूस हुआ,
जीवन की कुछ
अड़चनों से जो भिड़ गया।
राहें बदली कितनी
पर जीवन है वही,
अभी समय शायद
मेरे अनुकूल नही।
मैं रोया नही बस
थोड़ा दुःख हुआ,
रुकावट की कुछ
दीवारों से जो लड़ गया।
मैं जाना नही बस
थोड़ा आभास हुआ,
अपनो के कुछ
उम्मीदों से जो भर गया।
मैं हारा नही बस
थोड़ा मायूस हुआ
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