...

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मैं काफिलों में नहीं मिलता।
मुझे काफिलों में मत ढुंड,
में तो बंद कमरे में बसता हूं,
इस नकाबकोश मेहफिलो में,
में भी सूट पहने - नकाब लगाए,
हवाओ सा गुजर जाता हु,
याद रखने ने लायक नहीं बनता,
मगर भुलाया भी नही जाता हु,
में तो बेनकाब जंगलों में बसता हु,
जहा लोमड़ी भी जर्फ के साथ शिकार करती हे,
में इन कमजर्फ काफिलों में बिना मुखौटे के नहीं फिरता।
© Poshiv

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