...

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जैसे पहले थी वैसी मैं!
याद आता है कैसी थी
मासूम और प्यारी मैं!
और थी इन प्यार कि झूठी बातों से अनजान,
फिर उसका आना भी लिखा था राहों में मेरी
जिसने चुरा ली मुझसे मेरी प्यारी मुस्कान
ना जाने क्या सिखा गया वो और ले गया मेरी मासूमियत मुझसे
अब ना आने दूंगी किसी को राहों में अपनी
संभली हूं बड़ी देर में मैं!
और बनूंगी मुस्कान फिर से सभी की,
जैसी पहले थी बिल्कुल वैसी ही मैं!

© Neha Bharti