मन की व्यथा - 1
हजारों की भीड़ में, मैं अपनी परछाई ढूँढता हूँ,
एक गुमनाम शहर में, मैं अपना वजूद खोजता हूँ ।
नवजीवन के निर्माण की खातिर, नवचेतन मन लिए बढ़ता जाता हूँ,
धनवानों कि इस बस्ती में, नव वृक्ष की भांति काट दिया जाता हूँ ।।
जिंदगी के हर एक मोड़ पर कहानी सा हो...
एक गुमनाम शहर में, मैं अपना वजूद खोजता हूँ ।
नवजीवन के निर्माण की खातिर, नवचेतन मन लिए बढ़ता जाता हूँ,
धनवानों कि इस बस्ती में, नव वृक्ष की भांति काट दिया जाता हूँ ।।
जिंदगी के हर एक मोड़ पर कहानी सा हो...