ख़ामोश इश्क
जिंदगी के कागज पर, अश्को से कुछ लिखती है,
उसकी आँखों से आज, दरिया बहती दिखती है,
देखती है कभी, किताब में रखे सूखे गुलाब को,
गमो के बादलो में घिरे हुए आफ़ताब को,
बीते पलो की यादों को, अश्कों की माला में पिरोती है,
उसकी आँखों से आज, दरिया बहती दिखती है,...
उसकी आँखों से आज, दरिया बहती दिखती है,
देखती है कभी, किताब में रखे सूखे गुलाब को,
गमो के बादलो में घिरे हुए आफ़ताब को,
बीते पलो की यादों को, अश्कों की माला में पिरोती है,
उसकी आँखों से आज, दरिया बहती दिखती है,...