फूल…
बिखर गये है मोती प्रेम की माला के
हमारे विश्वास का धागा अब जो टूट गया
दीपक का प्रकाश अब ओझल जो हुआ
अंधेरे से भी अब तो उजाला खुद रूठ गया
समय के चक्कर में फ़िक्र मैं किसका करूँ
यादों का थैला मैं कहीं रख कर भूल गया
दिन के दरवाजे पर दस्तक सूरज कैसे करे
चाँद...
हमारे विश्वास का धागा अब जो टूट गया
दीपक का प्रकाश अब ओझल जो हुआ
अंधेरे से भी अब तो उजाला खुद रूठ गया
समय के चक्कर में फ़िक्र मैं किसका करूँ
यादों का थैला मैं कहीं रख कर भूल गया
दिन के दरवाजे पर दस्तक सूरज कैसे करे
चाँद...