...

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डरी सहमी सी आज हर पापा की शहजादी है
आजादी का पर्व मनाने
जब लोग खुशी से झूम रहे थे।
इंसानी भेष में कुछ वैशी दरिंदे
खुले में ही घूम रहे थे।।
डरी सहमी सी आज हर पापा की शहजादी है
पूछ रही है हर नारी फिर कैसी ये आजादी है।।

फिर एक निर्भया की आबरू
बेहर्मी से तार तार हुई
आजाद भारत की भारत माता
जग में फिर से शर्मसार हुई।।
हैवानों की बढ़ती जा रही
कैसी ये आबादी...