...

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बंसतपंचमी
रचयिता ब्रह्मा ने संपूर्ण संसार रचा,
पर फिर भी मानो कुछ छूट रहा,
ले हाथ कमंडल जल छिड़का,
मां शारदे का आह्ववान हुआ,
स्वरहीन प्रकृति में स्वर पनपा !


आकाश में कम्पन...