जिंदगी
जिन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास नहीं बैठा,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे,
कोई तोहफा ना मिला आजतक मुझे,
और आज फुल ही फुल दिऐ जा रहें थे,
तरस गया मैं किसी के हाथ से दिऐ एक कपड़े को,
और आज नऐ नऐ कपड़े ओढाऐ जा रहें थे,
दो कदम साथ ना साथ ना चलने वाले,
आज काफिला बन कर चले जा रहें थे,
आज पता चला कि मौत इतनी हसीन होती है,
हम तो युँही जिये जा रहे थे
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे,
कोई तोहफा ना मिला आजतक मुझे,
और आज फुल ही फुल दिऐ जा रहें थे,
तरस गया मैं किसी के हाथ से दिऐ एक कपड़े को,
और आज नऐ नऐ कपड़े ओढाऐ जा रहें थे,
दो कदम साथ ना साथ ना चलने वाले,
आज काफिला बन कर चले जा रहें थे,
आज पता चला कि मौत इतनी हसीन होती है,
हम तो युँही जिये जा रहे थे