...

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वतन की बात
आओ जरा बैठो तो सही, थोड़ी देर बतियाते हैं।
तुम करो मन की बात, हम करें वतन की बात।।
मिल जुल कर आओ सारे, उलझन सुलझाते हैं।
आओ जरा बैठो तो सही, थोड़ी देर बतियाते हैं।।

सुना है कि अब देश से, भ्रष्टाचार मिटने वाले हैं।
खादी, खद्दर, टोपी ने, खाये खांकि के निवाले हैं।।
खून सनि वर्दी का, क्यों दाग इन्हें दिखते नही।
पेंसन का मलाई सारे, चाट अपने उदर डालें हैं।।

फिर लिहाज़ का लिहाफ ओढ़, बेशर्म मुस्कुराते हैं।
आओ जरा बैठो तो सही, थोड़ी देर बतियाते हैं।।

चर्चा है जोरो पर कि, वह बासी रोटी खाते हैं।
तोड़ प्रोटोकॉल अक्सर, ऑटो से आते जाते हैं।।
आम आदमी के बीच, जो आम होना चाहते हैं।
वहीं आप अपनो के बीच, खास अपनी चलाते हैं।।

ऐसे बेईमानी के सबक, किससे सीख आते हैं।
आओ जरा...