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आजादी की चाह
** आज़ादी की चाह**

एक लड़की, ख्वाबों से भरी, अपने आकाश में उड़ने को तैयार, पर समाज की बेड़ियों में जकड़ी, हर कदम पर रुकावटें, हर मोड़ पर दीवार।

आंखों में सपने हैं, पर रास्ते में कांटे, हर एक पल उसे रोकता है, समाज की बंदिशें, रूढ़ियों के पहरे, पर दिल में आग है, जो उसे कभी न छोड़े।

वह चाहती है आज़ादी, अपने पंखों को फैलाना, अपनी मंज़िल खुद चुनना, अपने सपनों को साकार करना, पर समाज कहता है, "नहीं, यह तेरा रास्ता नहीं।"

पर वह नहीं मानती, हर संघर्ष से वह और भी मज़बूत होती जाती, हर आंसू से उसकी हिम्मत और बढ़ती जाती, वह जानती है, यह लड़ाई उसकी है, और वह जीतकर दिखाएगी, क्योंकि उसके सपने, उसकी आज़ादी की राह हैं।

रुकावटें आएंगी, पर वह झुकेगी नहीं, बंदिशें होंगी, पर वह रुकेगी नहीं, वह उड़कर दिखाएगी, अपने आकाश में, क्योंकि वह जानती है, उसका हर ख्वाब उसकी ताकत है, और एक दिन वह अपनी दुनिया खुद बनाएगी।
#invinsible poem
Vinay kumar mina

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