दास्तान
#अनपढ़पन्ने
आज जब मैं गई
एक बंद वर्षों पूर्व
पुस्तकालय भवन में
देख नजर में चकित हुई
कई वर्षों बंद जो हुए पुस्तकालय भवन आज उसकी व्यवस्था इतनी दुर्भाग् पूर्ण य हो गई।
जब खुला दरवाजा पुस्तकालय भवन का तो कई कई जगहों पर धुलो से शनि हुई किताबें कट्ठे रखे हुए थे
कई कई जगह तो मकरों के इतने इतने बड़े जेल बने हुए कि वहां जप ना रख पाना संभव ही नहीं हो रहा था।
फिर देखी वहां अद्भुत नजारा थोड़ी दूर जाने पर
विशाल शाह पुस्तकालयभवन
मोने ईश्वर की कोई...
आज जब मैं गई
एक बंद वर्षों पूर्व
पुस्तकालय भवन में
देख नजर में चकित हुई
कई वर्षों बंद जो हुए पुस्तकालय भवन आज उसकी व्यवस्था इतनी दुर्भाग् पूर्ण य हो गई।
जब खुला दरवाजा पुस्तकालय भवन का तो कई कई जगहों पर धुलो से शनि हुई किताबें कट्ठे रखे हुए थे
कई कई जगह तो मकरों के इतने इतने बड़े जेल बने हुए कि वहां जप ना रख पाना संभव ही नहीं हो रहा था।
फिर देखी वहां अद्भुत नजारा थोड़ी दूर जाने पर
विशाल शाह पुस्तकालयभवन
मोने ईश्वर की कोई...