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एक उम्र बितानी है !!
ये कविता मैने 2021 मे लिखी थी !!

एक उम्र बितानी है फिर लौट के जाना है
मुस्कान छा जाती है लबों पर
शांति भी गहराती है
एक अध्भुत अहसास की
तरंग दौड़ जाती है
हो जाते हैं फिर मौन
होश की नज़रें खुलती हैं !
मन मे एक विचार अविरल बहता जाता है

के यहाँ आखिर कब तक ये सफ़र चलना है
बस एक उम्र बितानी है फिर लौट के जाना है!!

फिर अदम्य साहस आता है भुजाओं में
शक्ति भी स्वतः आती है
एक पारलौकिक परछाई की
मौजुदगी भी साथ आती है
हो स्थिर अपने मन में
अंदर एक ज्योति दिखती है
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