आंखें
आंखों की भी कहानी अपनी रही।
सबकी आंखों ने हमेशा अपनी कही।
कभी हो जाती हैं किसी से चार।
कभी कनखियों से समझ जाएं किसी के आने की आहट।
कभी ईश्वर के सामने उन्हें अपनी दुआओ से देती बांध।
बच्चे की आंखे ढूंढ़ती...
सबकी आंखों ने हमेशा अपनी कही।
कभी हो जाती हैं किसी से चार।
कभी कनखियों से समझ जाएं किसी के आने की आहट।
कभी ईश्वर के सामने उन्हें अपनी दुआओ से देती बांध।
बच्चे की आंखे ढूंढ़ती...