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अंत
कहते है अन्त भला तो सब भला
लेकिन अंत में कभी बुरा हुआ है
किसी का नुक्सान हुआ है
बहुतों को फायदा हुआ है
अंत तक सीमित कुछ भी नहीं
जो भी है आज है अभी
कल किसने देखा है
हर आज मैं हर इंसान जीता है
कर्मों का सब लेखा हैं
जीवन में माया है
या माया में जीवन ये कोई समझ ना पाया है
जो भी है सब प्रभु की माया है
अंत से शुरु और
अंत में प्रारम्भ में हैं ये जीवन
#writcopoem
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