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कड़ाके की ठंड

कड़ाके की ठंड और कोहरे का घना साया हुस्न-ए-आला पर,
खानाबदोश हो फ़िर रहे थे, हम इश़्क की गली में यूँ दर-बदर।

एहसासों से सराबोर हुए पुरज़ोर,...