ज़िंदगी यूं बदलने लगी है
अनजाने से शहर में कुछ लोग मिलते हैं
कुछ किस हाल में हों पूछने वाले मिलते हैं
कुछ इस हाल में क्यों हों वो मिलते हैं
मिलते बिछड़ते लोग जहां में मिलते हैं
महीनों से ज्यादा कुछ भी लिखा नहीं
जो हुआ हैं,वो भी कभी हुआ नहीं है
बदलता हुआ अब हर लम्हा है
कौन यहां अब किसी के लिए ठहरता हैं
पल भर में बदलता हर किस्सा है
अब हम ना ये मौसम एक तरह रहता हैं
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