...

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नेमत
जो मन सिमरण में उतर गया समझो रब की नेमत
जो रहा संसार में वो रह गया केवल उलझकर
सिमर सिमर मन मेरे हरि को सुख पायेगा
सुधरेगा ये लोक तेरा ,प्रभु दरगाह में मूल्य पायेगा
तेरे इस हीरा जन्म का कुछ मोल पड़ जायेगा

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