...

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नादान
एक थी लड़की नादान सी ‌"
थी' इस दुनिया से अनजान वो "
बड़ी नजर एक धोखेबाज़ कि उस पर "
चली चाल अपने इश्क उस पर "
मासूम थी' नादान थी ' पहचान ना सकीं धोखेबाज़ हैं वो "
फंस गई 'चाल में धोखेबाज़ की वो"
दिलाया यकीन धोखेबाज़ ने इतना"
लगने लगे थे 'अपने भी पराए उसको_
अपने थे' जानते थे' पहचानते थे इस दुनिया को वो "
समझाने लगे 'उस नादान को वो"
छोड़ दो आ जाओ लौट कर "धोखेबाज है वो "
ना समझ सकी अपनों को वो"
छोड़ा अपनों को हो गई 'धोखेबाज की वो "
रूठे अपने तोड़ा रिश्ता हो गई 'तन्हा वो "

जब दिल भर गया 'धोखेबाज का उससे "
छोड़ गया' रोता तड़पता उस नादान को वो "
रोती रही बुलाती रही' वापस ना आया' धोखेबाज वो "
टूट यकीन हो गई 'नफरत इस दुनिया से‌ उसको"
डरने लगी थी ' अब रोशनी से वो "
हो गई थी "दोस्ती अंधेरे से उसकी "
रोती चिल्लाती तड़पती अंधेरे में वो"
जिसे सुनने वाला था ना कोई अब अपना उसको "
थक गई थी' हार गई थी' दुःख तकलीफों से वो "
चाहती थी' सोना सुकून से वो "
एक दिन हो गई आजाद इस दुनिया से वो "
छोड़ गई' चीखें अंधेरे में अपनी वो "
जिसे सुनने वाला था ना कोई अब अपना उसको "

Naaz
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