...

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#ज़ख़्म
#ज़ख़्म
ज़ख्मों के दर्दों को बेबाक लिखा है
छलनी बातों को ख़ौफ़नाक लिखा है
नाम छोड़ कर तुम्हारा
बाकी हमने सब साफ साफ लिखा है।

तुम्हारे लौटने को हमने शाम लिखा है
तुम्हारे धोखों को हमने खास रखा है
मुलाकातों को छोड़ कर अपनी
तुम्हारी यादों को हमने पास रखा है। ।

तूफ़ाँ को हमने जेब मे संभाल रखा है
तुम्हारी परछाईं को हमने उम्दा लिखा है
कलम से हमने अपनी
अभी तक तुम्हारी तारीफों को लिखा है।।





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