...

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तुझ बिन सावन
तुझ बिन सावन
ऐसे बीते जैसे बिरहा की अगन जीते

तेरे साथ को तुमसे बात को ऐसे तरसे
जैसे नीर बिन मीन है तड़पे

भूली बिसरी याद सी
नजरों को...