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मेरी अधूरी कविताएं
आज बैठकर ज़रा कुछ ढूंढ़ लाते हैं
जो सीने पर है, वो बोझ हटाते हैं ।
कभी ख्वाब बनकर, कभी यूं ही याद आ जाती हैं
मेरी अधूरी कविताएं, मुझे रोज़ बुलाती हैं।

ना जाने कब से SAD हैं सभी
बंद किताबों के पन्नों में कैद हैं सभी ।
धूल, मिट्टी और जाने कितनी सर्दियां बीत गई ।
सोचती हैं, में उन्हें पहचानता ही नहीं

कभी कभी ज़ोर से चिल्लाती हैं
मन ही मन, जाने कितना सुनाती हैं
आखिर क्यों नहीं लिखते पूरी तरह से हमें
गुस्सा हो कर भी सभी इतराती हैं
मेरी अधूरी कविताएं, मुझे रोज़ बुलाती हैं ।

अब कैसे समझाऊं इन्हे, मेरा मन बदल जाता है
लिखते समय एक खयाल दूसरा भी आ जाता है
कई दफा सोचा की एक हसीन अंथ दे दूं इन्हें
पर अक्सर ज़माना एक बात समझता है ।

"अधूरी मोहब्बत और अधूरी कविताएं
अक्सर लोगों को पसंद आती हैं ।
क्यों की मुकम्मल होने पर तो
ज़िन्दगी भी खत्म हो जाती हैं।"

मेरी अधूरी कविताएं ।

- Aezz खान...
© AEZZ खान...