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अजीब सा सुकून मिलता है
,😊😊😊

अजीब सा सुकून मिलता है
तेरी राहो में आकर,
ना कोई फ़र्ज़ है न है कही मर्यादा
इस तनहाई का अफ़साना ही कुछ और है,
न कोई शोर है ना है कही सन्नाटा।
अजीब सी कस्मकस है
इस ख़ामोशी में,
ना कोई भ्रम है ना है कही दिखावा।
पहचान बनाले तू भी यहां
ये कहता है मुझसे मुझीमे,
ना डर किसी से कौन रोकेगा तुझे उड़ने से यहा।
मीलों मील चला है तू मीलों मील और बाकी है
तो क्या हुआ इस राह में ना साथी है संग में तेरे,
हां.. मान ले हम है तेरे संग में रहे मीलों चले
तू देख मन की आखों से,
परछाईं बन संग है तेरे।।
RACHANA JHA ☺️☺️