...

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पारदर्शिता
चल आ,
उस पारदर्शिता को खत्म कर देते हैं,
सपनो को सपनों में देखते हैं,
हकीकत को भूल जाते हैं,
खुद को खुश कर लेते हैं,
गमों को भुल जाते है,
रूह प्रेम आलिंगन कर लेते हैं,
चेहरों को भूल जाते हैं,
मिलाप करते हैं नजरिए का,
शब्दो को भुल जाते हैं,
कंठस्थ कर लेते हैं उदाहरण को,
व्याकरण को भूल जाते हैं,
रिश्तों की फिक्र कर लेते हैं,
जिक्र को भूल जाते हैं,
धीमी आवाज़ करके मंजर की,
खामोशियां छोड़,
चिखो को सुन लेते हैं...
© --Amrita

#writopoem
#reality that has been hidden for centuries...