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#उड़ान हौसलों की
तल्ख़ियाँ इस ज़माने की तुझे हताश कर देंगी,
नहीं टूटेगा फिर भी तू, प्रण यह आज तू कर ले।
बुझाने को तेरे दीपक कई तूफ़ान उमड़ेंगे,
मोड़ने को तू रूख़ उनका, कमर बस आज तू कस ले।
मिटाने को तेरी हस्ती खंज़र तैयार हैं प्यारे,
पहुँच न हो जहाँ उनकी, तू हासिल वो मकाम कर ले ।
चल उठ आज तू प्यारे ख़ास कुछ काम तू करले,
लगाकर पंख हौसलों के, ऊँची एक उड़ान भरले।
#रंजीतकौर ✍️© ranjeet prayas
नहीं टूटेगा फिर भी तू, प्रण यह आज तू कर ले।
बुझाने को तेरे दीपक कई तूफ़ान उमड़ेंगे,
मोड़ने को तू रूख़ उनका, कमर बस आज तू कस ले।
मिटाने को तेरी हस्ती खंज़र तैयार हैं प्यारे,
पहुँच न हो जहाँ उनकी, तू हासिल वो मकाम कर ले ।
चल उठ आज तू प्यारे ख़ास कुछ काम तू करले,
लगाकर पंख हौसलों के, ऊँची एक उड़ान भरले।
#रंजीतकौर ✍️© ranjeet prayas
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